Reprogram Subconscious Mind - An Overview




उसने कहा, "क्या तुम मसीहा नहीं हो, जिनके चमत्कार से अन्धे देखने लगते हैं और बहरों को सुनायी देने लगता है?"

" सबने एक स्वर में जवाब दिया, "हां, हूजर! यह अपराध हमसे ही हुआ है।"

वह बोला, "उस ईश्वर की सौगन्ध, जो सबके दिलों का भेद जानेवाले हैं, जिसने आदम के समान पवित्र नबी को पैदा किया। अगर मेरे ये शब्द केवल तेरा भेद लेने के लिए हैं तो तू इनकी भी एक बार परीक्षा करके देख ले।"

झोंपड़ी की बाहर मनुष्यों का एक समूह झांक रहा था। वह यह हाल जान गया। साधु ने कहा, "ऐ परमात्मा!

इस महान ग्रंथ में कथाओं और उपाख्यानों द्वारा भक्ति, वैराग्य अध्यात्म, नीति आदि के उपदेश दिये गए हैं और कहने का ढंग ऐसा हृदयहारी और चमत्कारपूर्ण है कि कैसा ही शुष्क व्यक्ति क्यों न हो, उसपर भी प्रभाव पड़े बिना नहीं रह सकता। प्रत्येक कथा के अन्त में ऐसा सुन्दर परिणाम निकाला गया है कि पढ़नेवाला मुग्ध हो जाता है।

स्त्री ने जब देखा कि उसका पति नाराज हो गया है तो झट रोने लगी। फिर गिड़गिड़ाकर कहने लगी, "मैं सिर्फ पत्नी ही नहीं बल्कि पांव की धूल हूं। मैंने तुम्हें ऐसा नहीं समझा था, बल्कि मुझे तो तुमसे और ही आशा थी। मेरे शरीर के तुम्हीं मालिक हो और तुम्हीं मेरे शासक हो। यदि मैंने धैर्य और सन्तोष को छोड़ा तो यह अपने लिए नहीं, बल्कि तुम्हारे लिए। तुम मेरी सब मुसीबतों और बीमारियों की दवा करते हो, इसलिए मैं तुम्हारी दुर्दशा को नहीं देख सकती। तुम्हारे शरीर की सौगन्ध, यह शिकायत अपने लिए नहीं, बल्कि यह सब रोना-धोना तुम्हारे लिए है। तुम मुझे छोड़ने का जिक्र करते हो, यह ठीक नहीं हैं।"

वह स्त्री बोली, "मेरे पीछे मेरी एक दासी है। मुझसे भी अधिक सुन्दरी है। जब तू उसे देखेगा तो बड़ा खुश होगा। देख यह सामने से चली आ रही है।"

यह तेरा कपट-जाल कब तक चलेगा? तेरी सूरत से ही झूठ टपकता है!"

नाविक ने ऊंचे स्वर में वैयाकरण से पूछा, "महाराज, आपको तैरना भी आता है कि नहीं?"

एक आदमी ने अपनी स्त्री को मार डाला। परिचितों ने कहा, "अरे दुष्ट! तूने अपनी स्त्री को मार डाला और उसकी सेवा को भूल गया। हाय-हाय, अभागे!

"आप धीरज से बैठे रहिए। सबकुछ हो जायेगा।"

भ्रस्ट कॉंग्रेसियो का, इसके बाद भी जो इन्हें वोट देगा भारत

हजरत उमर ने उत्तर दिया, 'यह दान तुमने निष्काम भावना website से नहीं किया, बल्कि जो कुछ तुमने दिया है, वह अपना बड़प्पन प्रकट करने और प्रसिद्धि के लिए दिया है। ईश्वर के भय और परोपकार के लिए नहीं दिया। ऐसे दिखावे को उदारता और दान से कोई लाभ नहीं है।"१

खुदा की मर्जी से माफी मिल गयी। अब तू निस्संकोच होकर जो मुंह आये, कह दे।"

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